एलियन लाईफ/ALIEN LIFE

 


क्या एलियन होते हैं 

यह सवाल भी लोगों को लगातार मथता रहता है कि क्या एलियन हैं? क्या वे पृथ्वी पर आते रहे हैं? क्या वे पृथ्वी पर आ सकते हैं? तो इस सवाल के जवाब में यह समझिये कि एलियन हैं क्या चीज.. अपने ग्रह से बाहर जो भी, जैसा भी कोई जीवन हो सकता है वह सब एलियन लाईफ की ही पहचान है।

कहाँ हो सकता है यह जीवन? जीवन पैदा करने वाले तत्व पूरे यूनिवर्स में फैले हुए हैं और जहाँ कहीं भी उन्हें पनपने लायक स्थितियां मिलेंगी, वहां जीवन पनप जायेगा। हमारे सोलर सिस्टम में ऐसा कुछ भी यूनीक नहीं है, जो दूसरे सिस्टम्स में नहीं है।
हम जिस गैलेक्सी में हैं, सिर्फ इसी गैलेक्सी में सौ से चार सौ अरब तारे हैं और कम से कम दो सौ अरब ग्रह इनका चक्कर लगा रहे हैं और चालीस अरब ग्रह ऐसे हो सकते हैं जिन पर किसी न किसी रूप में जीवन पनपने की संभावना है.. यह एक छोटी सी गैलेक्सी का हाल है, और पूरे यूनिवर्स में ऐसी अरबों गैलेक्सीज मौजूद हैं तो आगे की संभावनाओं का अंदाजा खुद लगा लीजिये।
मैंने लाईफ में जीवन के लिये जो जरूरतें बताई थीं, वो हमारे जैसे जीवन की थीं, हमसे अलग तो और भी तरह के जीवन हो सकते हैं.. संभावना के लिये मान लीजिये कि वीनस पर हमारे हिसाब से जीवन की संभावना नहीं...

लेकिन हो सकता है कि वहां की एक्सट्रीम कंडीशन के हिसाब से कोई ऐसा जीव पनप जाये जो एनर्जी से बना हो, जो बरसते हुए मेटल या सल्फ्यूरिक एसिड को गिजा बना ले.. तो वह भी जीवन का ही एक रूप है, भले हमसे बिलकुल उलट हो।
अब सवाल यह कि क्या एलियन हमारे ग्रह पर आये हैं, आते हैं या आ सकते हैं.. तो इसके लिये दो बिंदुओं को खास तौर पर समझिये कि स्पेस में लाईट से तेज कुछ नहीं चल सकता, और जमीन से नजर उठा कर हम आस्मान में जो भी देखते हैं वह कुछ भी वर्तमान सच नहीं बल्कि गुजरा हुआ अतीत होता है।
सूरज को हम 8 मिनट पुराना देखते हैं, सबसे नजदीकी स्टार प्राॅक्सिमा सेंटौरी को 4.2 साल पुराना और सबसे नजदीकी गैलेक्सी को 2.5 मिलियन साल पुरानी।
अब खुद एलियन बन के सोचिये कि आप सबसे पड़ोस के सोलर सिस्टम के एक ग्रह प्राॅक्सिमा बी को देखते हैं, सोचते हैं कि हम इंसान यहाँ बस सकते हैं और चूंकि लाईट की स्पीड से चल सकना तो मुमकिन नहीं क्योंकि उसके लिये माॅसलेस होना पड़ेगा तो मान लेते हैं कि आधी स्पीड (लगभग डेढ़ लाख किलोमीटर पर सेकेंड) पे चल सकने लायक यान बना कर उससे रवाना होते हैं..

इस हिसाब से आपकी यात्रा भी कई सालों में सम्पन्न होनी है, लेकिन जब आप वहां पहुंचते हैं तो पता चलता है कि वह प्लेनेट तो चार-पांच साल पहले ही एक इम्पैक्ट में नष्ट हो गया था.. आप तो प्रकाश के जरिये आप तक पहुंचने वाले प्राॅक्सिमा बी के अतीत को देख रहे थे। आप करना चाहेंगे ऐसा सफर?
मान लेते हैं कि हमारी गैलेक्सी में कोई प्लेनेट हमारे लायक नहीं लेकिन पड़ोसी गैलेक्सी में पृथ्वी की कार्बन कॉपी मौजूद है और हम वहां के लिये इसी स्पेस शटल से रवाना होते हैं कि ठीक है हमें पच्चीस-तीस लाख साल लग जायेंगे और इस बीच हम यान में अपनी पीढ़ियां आगे सरकाते रहेंगे..
लेकिन दस बीस लाख साल बाद आपको पता चलता है कि वहां एंड्रोमेडा है ही नहीं, उसे तो उसके सेंटर में मौजूद ब्लैकहोल निगल गया.. आप तो बस स्पेस में उसका लाखों साल पुराना व्यू ही देख रहे थे। तो ऐसा सफर करना चाहेंगे आप?
मान लीजिये कि कोई एडवांस सिविलाइजेशन अपनी इसी गैलेक्सी के किसी प्लेनेट पर मौजूद है जो हमसे दस हजार प्रकाशवर्ष दूर है। उन्होंने वहां से खोजा पृथ्वी को.. तो पृथ्वी उन्हें कैसी दिख रही होगी? आज जैसी नहीं बल्कि तब की जब यहाँ सिर्फ जंगल खड़े थे और वे इसे अपने लिये बढ़िया प्लेनेट मान कर वहां से चलते हैं और मान लें कि वे भी रोशनी की चौथाई स्पीड से भी चलते हैं तो भी उन्हें पृथ्वी तक पहुंचने में कई हजार साल लगेंगे..

तब तक तो हम पृथ्वी का सत्यानाश करके इसे खत्म भी कर चुके होंगे। उनके लिये यह टाईम डिस्टेंस प्रकाश की गति से चलने पर भी कई हजार साल का होगा और इतने टाईम में होमोसेपियंस पनप कर, विकसित हो कर खत्म भी हो चुके होंगे। क्या वे बुद्धिमान प्राणी ऐसी यात्रा करना चाहेंगे?
हम नजर उठा कर ऊपर आकाश में जो कुछ भी देखते हैं, उसमें कुछ भी रियल टाईम में नहीं होता तो आप संभावना के तौर पर मान लीजिये कि सिर्फ अपनी गैलेक्सी से बाहर जो भी है, पृथ्वी पर बैठ कर उसकी आज की तारीख वाली स्थिति जानने के लिये पच्चीस लाख साल से ले कर कई अरब साल का वक्त लगेगा..

और अभी हम जो भी देख रहे हैं वह लाखों से ले कर करोड़ों, अरबों साल पुराना व्यू है.. यानि मान लीजिये कि हमारी मिल्की वे को छोड़ कर बाकी सब एकदम नष्ट हो चुका है और कहीं है ही नहीं लेकिन फिर भी हमें दिख रहा है और लाखों करोड़ों साल तक ऐसे ही दिखता रहेगा.. यह है हमारी या किसी भी एलियन की औकात इस यूनिवर्स में।
अब ऐसे हालात में स्पेस ट्रैवल कर के दूसरे ग्रहों पर जाना सिर्फ अंधी दौड़ और किस्मत के भरोसे खेला जाने वाला जुआ है.. तो आप एक बुद्धिमान प्रजाति के तौर पर इस जुए को खेलना चाहेंगे? क्या कोई भी बुद्धिमान एलियन प्रजाति खेलना खेलना चाहेगी?

बस यही आपके सवालों का फिलहाल जवाब है.. क्योंकि वार्प ड्राइव या वर्महोल जैसी टेक्निक सिर्फ थ्योरी में है.. कभी संभव हुई तो विचार बदले जायेंगे।
Written by Ashfaq Ahmad

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