मधुरिमा
मधुरिमा
कलंगुट बीच स्थित होटल गैब्रिएल से सुबह-सवेरे जब मधुरिमा तैयार हो कर निकली तो इरादा कुछ खास नहीं था— बस तट पर भटकने तक का ही ख्याल था… क्योंकि न उसे गोवा के बारे में कोई खास जानकारी ही थी और न उसका जीवन इस तरह का रहा था कि वह ऐसी विज़िट को लेकर कोई प्लान बना पाने में सक्षम हो। वह तो बस अपनी एक फैंटेसी पूरी करने निकली हुई थी।
बदन पर एक ब्लैक कलर का प्लाज़ो था तो ऊपर एक छाती भर कवर करने वाला पिंक टाॅप और उसके ऊपर एक ढीली लाईट अक्वा ग्रीन कलर की शर्ट डाल ली थी, जिसके बटन तो सारे खुले थे लेकिन नीचे पेट पर दोनों पल्लों के बीच नाॅट बांध ली थी। आँखों पर स्टाइलिश गाॅगल चढ़ा था तो हाथ में एक फैंसी हैंडबैग। उसकी उम्र के साथ नार्थ इंडिया में शायद यह हुलिया सूट न करता मगर गोवा में यह सामान्य बात थी— तो कोई भी सिर्फ इस बात के पीछे नोटिस नहीं करने वाला था।
वह पचास साल की थी— बावजूद इसके शरीर पर चर्बी का नामोनिशान नहीं था और सूरत आज भी आकर्षक थी, भले जवानी के मुकाबले ग्लो कम हो गया हो और मैच्योरिटी ने स्थाई बसेरा कर लिया हो। रंगत साफ थी जो उसके आकर्षण को और बढ़ा देती थी। बालों में शायद कुछ सफेदी आ चुकी हो लेकिन उनके डाई होने की वजह से वह किसी जवान युवती की तरह ही स्याह और घने थे, जिन्हें उसने शाइस्तगी से पोनी टेल के रूप में बांध रखा था।
"एक्सक्यूज मी मैडम।" अभी वह दस कदम ही चली होगी कि किसी ने पीछे से पुकारा था।
उसे लगा कि उसे सम्बोधित किया गया था तो वह पलट कर देखने लगी… पीछे नीली जींस और सफेद शर्ट पहने एक आदमी मौजूद था जो उसकी तरफ़ बढ़ रहा था। दिखने में ठीक-ठाक था, उम्र पैंतालीस के आसपास रही होगी, शरीर से बेडौल तो नहीं कहा जा सकता था लेकिन उतना फिट भी नहीं था, थोड़ा पेट भी निकला हुआ था।
"क्या आपको एक गाईड की ज़रूरत है मैम?" उस व्यक्ति ने पास आते हुए कहा और चेहरे पर फौरन ही व्यवसाय सुलभ मुस्कराहट सजा ली थी।
"क्या इस उम्र के भी गाईड होते हैं?" मधुरिमा ने किंचित आश्चर्य के साथ कहा।
"जी, हर एज के होते हैं मैडम। अब जवानी में शुरु किया काम उम्र बढ़ने पर कोई छोड़ तो नहीं देता मैडम— उल्टा उम्र बढ़ने के साथ और तजुर्बा आ जाता है तो आदमी ज्यादा प्रोफेशनल और ज्यादा बेहतर हो जाता है।" उसने चापलूसी भरे स्वर में कहा।
"आपका मतलब है कि टूरिस्ट को ज्यादा बेहतर तरीके से चूना लगा सकता है।" कहते हुए मधुरिमा के होंठों पर मुस्कराहट आ गई।
"ऐसा नहीं है मैम— लोगों को नहीं पता होता कि उन्हें कहां-कहां जाना चाहिये, कैसे कम से कम पैसे में खाना-पीना और एंजाय करना चाहिये, किस जगह से क्या इतिहास जुड़ा है… हम इन सब चीज़ों में हेल्प करते हैं तो एटलिस्ट इस सर्विस के बदले कुछ पैसे तो डिजर्व करते ही हैं कि हमारे परिवार भी पल सकें।"
"हम्म… ठीक है, मुझे एक सही कारण दीजिये कि मुझे आपको अपना गाईड बनाना चाहिये।" मधुरिमा ने उसे ग़ौर से उसे देखा— आदमी धूर्त तो नहीं लगता था।
"क्योंकि आप कल रात ही बिहार से आई हैं, और पहली बार गोवा आई हैं, घूमने के मकसद से आई हैं लेकिन अकेली हैं… ऐसे में आपको किसी भरोसेमंद गाईड की ज़रूरत है, जो आपको सही ढंग से गोवा दिखा सके। मैं यह जिम्मेदारी निभा सकता हूं, मैं रजिस्टर्ड गाईड हूं, पुलिस वेरिफिकेशन हुआ है, कैरेक्टर पर कभी कोई उंगली नहीं उठी और एक सिंगल केस भी किसी पुलिस स्टेशन में दर्ज नहीं है। इसके सिवा घर में बीवी है, जिसे खाना खिलाना है, एक बेटा है जिसकी कोचिंग फीस ड्यू है और एक बेटी है जिसके काॅलेज की फीस भी भरनी बाकी है… अगर आप मुझे मौका देंगी तो मेरी यह मुश्किलें कुछ हद तक तो हल हो सकती हैं।"
"अच्छा… और मेरे बारे में पता कैसे चला?"
"होटल के काउंटर से… यह हमारा रोज़ का काम है मैम। हम सुबह सवेरे ही नये आने वाले टूरिस्ट्स की इनफार्मेशन निकालते हैं और कोशिश करते हैं कि उनमें से कोई तो हमें हायर कर ले।"
"और इसके लिये मुझे 'पे' कितना करना पड़ेगा?"
"पांच सौ से ऊपर जो भी खुशी से दे दें, शिकायत नहीं करूंगा मैम।"
मधुरिमा सोच में पड़ गई— अब तक तो ऐसा कुछ न उसने सोचा था और न ही इस बारे में कुछ पता था उसे, लेकिन यह भी सच था कि अगर उसे गोवा घुमाने वाला मिलता है तो यह अच्छी बात थी… शर्त इतनी ही थी कि वह इंसान भी अच्छा हो।
"मुझे यहां पूरे सात दिन रुकना है, अगले सोमवार मेरी वापसी की ट्रेन है— तो मैं तुम्हें सातों दिन के लिये यह जिम्मेदारी दे सकती हूं और इसके लिये रोज़ के हज़ार रुपये भी दूंगी लेकिन इस बात का फैसला कल सुबह करूंगी कि मुझे तुम्हारी सेवायें लेनी चाहिये या नहीं। मुझे नहीं पसंद आये तो सुबह पांच सौ एक रुपये के साथ अपनी जिम्मेदारी खत्म समझना।" थोड़ी देर सोचने के बाद वह निर्णायक स्वर में बोली।
"मुझे मंजूर है और पूरी उम्मीद है कि आप पूरे हफ्ते मेरी सर्विस एंजाय करेंगी मैम।" वह व्यक्ति खुश हो गया।
"क्या मैं तुम्हारे बारे में जान सकती हूं?"
"जी बिलकुल— मुझे एंसलिम कहते हैं। एंसलिम रोड्रीगुएज— पूरा नाम। कलंगुट में ही रहता हूं— पोर्टुगुईज़ कोंकण मिक्स हूं और इसी जगह पैदा हुआ हूं। पिता अरमबोल में एक होटल चलाते थे लेकिन उनके जाने के बाद उसे चलाने की कुछ नाकाम कोशिशों के बाद बंद कर दिया, क्योंकि मैं उनकी तरह बेहतर कुक नहीं और कोई ढंग का कुक मिला नहीं।"
"तो चलिये— शुरु कीजिये।"
"हम ऐसा करते हैं कि सबसे पहले क्वेरिम की तरफ़ से शुरु करते हैं जो नार्थ में है, फिर साउथ की तरफ़ उतरते सभी बीचेस और ऐतिहासिक महत्व की लोकेशंस पर चलने के साथ आईलैंड्स भी एक्सप्लोर करेंगे और आप इसी दरम्यान वाटर स्पोर्ट्स का भी मज़ा लेंगी। इस बीच मैं आपको यहां के इतिहास से जुड़ी एक-एक बात बताऊंगा। यहां के सभी पारंपरिक खानों का स्वाद चखाऊंगा और सभी मेन बाज़ार और स्ट्रीट्स की सैर भी कराउंगा।"
मधुरिमा ने सहमति में सर हिलाया और वे चल पड़े।
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Written By Ashfaq Ahmad
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