टाईम मशीन
क्या टाईम मशीन का अविष्कार संभव है?
वैसे यह बड़ा दिलचस्प ख्याल है कि अगर कोई टाईम मशीन बना ली जाये तो क्या हम उसके जरिये अतीत में जा सकते हैं.. यह बड़ी रोमांचक कल्पना है जो कभी न कभी हर किसी ने की होगी। अब अगर टेक्निकली इस संभावना की बात करें तो यह पाॅसिबल नहीं लगता। समय एक लीनियर यूनिट है, इसे रिवर्स नहीं किया जा सकता। मतलब अतीत को आप देख तो सकते हैं किसी तरह लेकिन जो घट चुका है, उसे बदल नहीं सकते।
देख कैसे सकते हैं... इस बात का जवाब यह है कि कभी स्पेस में रोशनी से तेज गति से दूरी तय करने का कोई जुगाड़ बना सके तो जरूर देख सकते हैं। साईंस में दिलचस्पी रखने वाले सभी लोगों ने यह लाईनें जरूर सुनी होंगी कि जैसे-जैसे हम रोशनी की गति के नजदीक पहुंचते जायेंगे, समय हमारे लिये धीमा होता जायेगा—
और बराबर पहुंचने पर थम जायेगा, जबकि उस स्पीड का बार्डर क्रास करते ही वह हमारे लिये उल्टा चलने लगेगा... यानि तब चीजें वर्तमान से पीछे की तरफ जाते देख पायेंगे। अब सामान्यतः यह बात आदमी के सर के ऊपर से गुजर जाती है और वह खिल्ली उड़ा के आगे बढ़ लेता है।
लेकिन कोशिश करे तो समझ भी सकता है.. आइये इसे समझने का एक बिलकुल आसान सा रास्ता बताता हूँ। समझिये कि हम कोई भी चीज प्रकाश के माध्यम से देख सकते हैं और यह हमारी एक लिमिटेशन है। प्रकाश की गति की अपनी एक लिमिटेशन है..
लगभग तीन लाख किलोमीटर पर सेकेंड। तो आप आंख खोल कर जो भी चीज देखते हैं, वह प्रकाश की गति के नियम से बंधी होती है और हकीकत में आप एग्जेक्ट वर्तमान में कुछ भी नहीं देख पाते। जो भी देखते हैं वह कुछ न कुछ पुराना ही होता है।
अब कम दूरी पर यह प्रभाव पता नहीं चलता लेकिन जैसे-जैसे दूरी बढ़ती जायेगी, यह अंतर बढ़ता जायेगा। पृथ्वी पर इस फर्क को नहीं महसूस कर सकते लेकिन आसमान की तरफ नजर उठाते ही यह बहुत बड़े अंतर के साथ सामने आता है।
अपने सोलर सिस्टम के सूरज, ग्रह या चांद तो फिर कुछ मिनट पुराने दिखते हैं लेकिन बाकी तारे, गैलेक्सीज हजार, लाख, करोड़ साल तक पुराने हो सकते हैं, यानि जितना भी वक्त उससे निकली रोशनी को आप तक आने में लगा हो।
यानि किसी ऐसे तारे को आप देख रहे हैं जो यहां से दस लाख प्रकाशवर्ष दूर है तो मतलब आप उस तारे का वह नजारा देख रहे हैं जो दस लाख साल पहले रहा होगा। हो सकता है कि जब यह व्यू पैदा हुआ था, उसके अगले ही दिन वह तारा खत्म हो चुका हो लेकिन आपको वह लाखों साल यूं ही दिखता रहेगा।
तो ठीक इसी तरह मान लीजिये कि आपके पास एक इतना हाईटेक टेलिस्कोप है कि आप एक हजार प्रकाशवर्ष दूर से भी पृथ्वी को देख सकते हैं तो उसके साथ पृथ्वी से इस दूरी पर जाइये। अब अगर आप प्रकाश की गति से जायेंगे तो आपको हजार साल लग जायेंगे और तब आपको अभी का नजारा दिखेगा—
यानि यहाँ पे वक्त आपके लिये थमा हुआ है कि जहां से चले थे, वहीं हैं जबकि पृथ्वी पर तो इस बीच हजार साल गुजर चुके होंगे और हो सकता है कि आपके टेकऑफ करने के अगले ही दिन पृथ्वी किसी बुरे इत्तेफाक का शिकार हो कर खत्म हो चुकी हो, लेकिन आपको तो वह दिखती रहेगी।
अब मान लेते हैं कि आपके पास कोई ऐसी टेक्निक है कि प्रकाश की गति आपके लिये मायने नहीं रखती, बल्कि आप पलक झपकते, या एकाध दिन में उसी दूरी पर पहुंच जाते हैं.. तो तकनीकी रूप से आपने रोशनी की गति के बैरियर को तोड़ दिया, और आपको वक्त उल्टा दिखना चाहिये।
तो हजरत, अब जब उसी प्वाइंट से आप पृथ्वी को देखेंगे तो वह आज वाली पृथ्वी नहीं बल्कि हजार साल पहले की वह पृथ्वी दिखेगी जो अतीत में गुजर चुकी। आपके पास हजार साल पहले बनी पृथ्वी की छवि प्रकाश के माध्यम से हजार साल की यात्रा करके अब पहुंची है।
इसी तरह स्पीड बैरियर को जितना भी तोड़ते आगे जायेंगे, उतनी ही पुरानी पड़ती पृथ्वी के दर्शन करते जायेंगे। यह है एक्चुअली वह कांसेप्ट जहां कहा जाता है कि अगर आप रोशनी से तेज गति से चल लिये तो वक्त आपके लिये उल्टा चलने लगेगा।
तो अब आते हैं मेन मुद्दे पर जो टाईम मशीन को ले कर है.. ऐसी कोई तकनीक तो विकसित की जा सकती है कि उसके जरिये हम अतीत में देख सकें लेकिन उसे बस इसी तरह देख सकते हैं जैसे सिनेमाहाल में बैठा दर्शक पर्दे पर फिल्म देखता है।
हां, इससे हो चुकी घटनाओं को समझने में मदद मिल सकती है, रहस्यों की गुत्थी सुलझ सकती है लेकिन देखने वाला उसमें असरअंदाज नहीं हो सकता। वह उस गुजर चुके अतीत में कोई भी फिजिकल एंटरफियरेंस नहीं कर सकता।
बाकी भविष्य में जाने जैसा कुछ भी पाॅसिबल नहीं.. उसके अंदाजे लगा कर सिमुलेशन क्रियेट किया जा सकता है लेकिन चूंकि वह अनिश्चित है, अलिखित है (धार्मिक गपों से परे) तो उसकी कोई झलक भी मुमकिन नही।
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