आदम और हव्वा की कहानी
क्या आदम और हव्वा एतिहासिक पात्र थे?
एक बारगी डार्विनिज्म को दरकिनार भी कर दिया जाये और कोई कहे कि एडम ईव उर्फ आदम हव्वा कोई एलियन थे जो किसी तरह पृथ्वी पे फंस गये थे (जैसा मैंने अपनी किताब इनफिनिटी में लिखा था) और यहां जीरो से अपना सफर शुरु किया था तो भी मैं यह थ्योरी मान सकता हूँ लेकिन कोई यह कहे कि ईश्वर ने इन दो प्राणियों को धरती पर उतारा और उनसे समस्त मानव जाति की शुरुआत हुई, तो यह चीज किसी भी तरह मेरे गले नहीं उतरने वाली।
जब किसी तरह की साइंटिफिक रिसर्च की सुविधा नहीं थी तब चीजें लोग बे चूं-चरा मान लेते थे क्योंकि कोई और ऑप्शन नहीं था लेकिन आज तो दुनिया भर की चीजें मौजूद हैं, जानने समझने के लिये.. तो कम से कम अब तो दिमाग इस्तेमाल कर लीजिये। डेढ़ सौ साल पहले पुरातत्व विज्ञान नहीं था तो ऐसी कहानी हजम की जा सकती थी लेकिन अब तो हमें पता है कि पृथ्वी पर इंसानों का अतीत लाखों साल पुराना है।
कम्यूनिकेशन शुरू करके बड़े समूहों में ढलने का इतिहास भी पच्चीस हजार साल पुराना है और सैकड़ों सबूतों के आधार पर हमें पता है कि इंसान की होमो इरेक्टस या नियेंडरथल्स जैसी दूसरी प्रजातियों को किनारे कर दें तो भी होमो सेपियंस ने आग के इस्तेमाल, कच्चे भोजन को पका कर खाना, पत्थरों के औजारों से शुरु करके ब्रोंज और लोहे के औजारों तक आना, पहिये का अविष्कार कर के लंबे सफर करना, खेती करना, लिखना पढ़ना.. सब एक क्रोनोलाॅजी में धीरे-धीरे और हजारों साल के सफर में सीखा है और आदम हव्वा आस्मान से जमीन पर उतरते ही आग जलाना, खेती करना, शिकार करना, लोहे के औजारों का इस्तेमाल करना और लिखना पढ़ना सब शुरू कर देते हैं।
उनके बेटे शेत उर्फ शीश के बेटे एनोश उर्फ अनूश के बेटे केनान उर्फ कयान के बेटे महललेल उर्फ महलाईल के बारे में लिखा है कि उन्होंने नई-नई बस्तियां बसाईं, इंडस्ट्रीज की शुरूआत की, किले बनवाये और मस्जिदें बनवाईं.. आदम की सिर्फ चौथी पीढ़ी, मान लीजिये कि उनके बीच हजार साल का भी फर्क रख लीजिये तो इतने ही वक्त में सुपर सोनिक स्पीड से दुनिया ने इतनी तरक्की कर ली थी। मतलब मानव विकास के जो भी सबूत दुनिया में पाये जाते हैं, वह कोई मायने ही नहीं रखते।
मजे की बात है कि सेमिटिक में जितने भी पैगम्बरों के नाम लिये जाते हैं, तीन चार नामों को छोड़ किसी का भी कोई एतिहासिक सबूत नहीं है और यह सब माइथालाॅजिकल कैरेक्टर्स ही हैं जो एक लिटरेचर का हिस्सा हैं लेकिन चूंकि इन पर यकीन रखने वाले इन्हें एतिहासिक मानते हैं तो एक बार उन्हीं के नजरिये से इनकी एतिहासिकता को मान्यता देते हुए इनका टाईम पीरियड चेक कर लेते हैं। पहले आदम से शुरू करते नूह तक पहुंचते हैं.. नीचे इन नामों के आगे वह उम्र लिखी है जिसमें उन्होंने अगली पीढ़ी को पैदा किया..
एडम-130, शेत-105, एनोश-90, केनान-70, महललेल-65, येरेद-162, हनोक-65, मतुशेलाह-187, लेमेक-182 (नूह), यानि आदम के आने के बाद से दसवीं पीढ़ी में नूह के पैदा होने के बीच 1056 साल होते हैं और जब नूह 600 साल के होते हैं तब वह जल प्रलय आती है, मतलब एडम के अवतरण के 1656 साल बाद।
इसके बाद नूह से इब्राहीम तक पहुंचते हैं.. यह भी उनकी दसवीं पीढ़ी में हैं। नूह-500, शेम-102, एर्फेक्शेड-35, सलाह-30, एबर-34, पेलेग-30, रेऊ-32, सेरग-30, नाहोर-29, तेराह-130 (इब्राहीम) तक आते 952 साल होते हैं। नोट करने वाली बात यह है कि इब्राहीम की बर्थ डेट भी बताई गयी है जो 2150 BC है, अब इस हिसाब से पीछे जायेंगे तो 1056+952=2008 साल पीछे हीं एडम मिल जाते हैं यानि 4158 BC मतलब बस आज से 6,159 साल पीछे ही। इस हिसाब से वह जल प्रलय 2502 BC में घटित हुई थी यानि आज से 4503 साल पीछे।
अब इब्राहीम से मूसा तक आते हैं.. इब्राहीम-100, इसहाक-60, जेकब-65, लेवी-67, केहाथ-67, अमराम-65 (मूसा).. यानि इब्राहीम से मूसा तक 424 साल लगे तो अगर इब्राहीम की जन्म तिथि 2150 BC से चलें तो 1726 BC में मूसा को पैदा होना चाहिये लेकिन इन्हें उस फिरौन की वजह से जाना जाता है जिसके बारे में अंदाजा लगाया जाता है कि वह रेमेसिस था जो 1213 BC में मरा तो उस हिसाब से देखें तो इन्हें भी उसी दौर में होना चाहिये जबकि इनकी वंशावली के हिसाब से देखें तो इनका जन्म करीब पांच सौ साल पीछे जा रहा है।
और अगर रेमेसिस के हिसाब से ही इन्हें मान लें तो यह आदम की छब्बीसवीं पीढ़ी में आयेंगे और सबकी उम्रों को अगर जोड़ें तो 2008+424=2432 साल होते हैं और इसमें मान लें कि एग्जाडस के समय मूसा की उम्र 80 साल थी तो उसे जोड़ के कुल 2512 साल होते हैं। अब इन्हीं की कहानी है कि वह एग्जाडस के समय डूब कर मर गया था जो कि रेमेसिस के इतिहास में उसकी मृत्यु के समय के रूप में 1213 BC दर्ज है तो इस डेट से ठीक 2512 साल पीछे यानी 3725 BC में एडम मिल जाते हैं, मतलब आज से 5746 साल पीछे वह धरती पर उतरे थे और उन्होंने मानव सभ्यता की शुरुआत की थी जबकि बारह हजार साल पहले हमारे पूर्वज घुमक्कड़ी छोड़ कर स्थाई बस्तियां बसा कर खेती करना शुरु कर चुके थे।
इससे आगे की क्रोनोलाॅजी समझना चाहते हैं तो उस पर भी एक नजर डाल सकते हैं.. एग्जाडस यानि मूसा के मिस्र छोड़ने के बाद इज्राएल में अपनी कौम को बसाने, व्यवस्थित करने में मूसा को 40 साल लगते हैं, इसके बाद निम्नलिखित क्रम में लोग वहां राज्य करते हैं.. जोशुआ-ओथनील-40, एहुद-80, डेबोरह-40, गिडेऊन-40, एबिमेलेज-3, टोला-23, जायर-22.. इसके बाद जेपथेह के अट्ठारह के होने तक कुछ साल गद्दी खाली रहती है और फिर जेपथेह-6, एलन-10, एब्डान-8, सैंपसन-20, हेली-जज-प्रीस्ट-4, सैमुएल-सोल-40, डेविड उर्फ दाऊद-40, और उनके बाद गद्दी संभालने वाले उनके बेटे सोलोमन उर्फ सुलेमान ने सत्ता संभालने के चार साल बाद माउंट टेम्पल का निर्माण कराया जिसे मुसलमान मस्जिदे अक्सा के रूप में जानते हैं और जिसके निर्माण की तारीख 957 BC दर्ज है।
यानि अगर एतिहासिक रूप से स्थापित इसी तारीख को एक पिक प्वाइंट के रूप में मान लें तो एग्जाडस से उस वक्त तक अप्राक्सिमेटली 450 साल के आसपास का वक्त होता है और इसे एग्जाडस के टाईम में जोड़ें जो आदम के अवतरण के बाद से 2512 साल होता है.. यानि टोटल 2912 साल। राउंड फिगर में तीन हजार साल रख लें तो मतलब माउंट टेम्पल के बनने के तीन हजार साल पहले आदम दुनिया में आये थे और उसे बने अब लगभग तीन हजार साल हो चुके हैं तो उसे मिला कर छः हजार साल बनते हैं.. यानि अब से लगभग छः हजार साल पहले एडम और ईव ने दुनिया में मानव सभ्यता शुरु की थी।
अगर कोई पीढ़ियों के हिसाब से अब्राहम से ईसा की वंशावली समझना चाहता है तो इससे समझ सकता है.. इब्राहीम> इसहाक> जेकब> जेडास> फैरेस> एसराम> एरम> एमिनाडेब> नासन> सैलमन> बूज> ओबेड> जेस्से> डेविड (दाऊद)> सोलोमन (सुलेमान)> रोबोम> एबिया> एसा> जोसाफेट> जोरम> ओजिअस> जोथम> एजेस> एजिकिआस> मैनासेस> एमन> जोसिआस> जेकोनिआस> सेलाथील> जोरोबेबल> एविअड> एलिआकिम> एजर> सैडाक> एकिम> इलियड> एलिजर> मैटहन> जेकब> जोसेफ.. जो मदर मैरी के शौहर थे।
और इन्हें पिक प्वाइंट बनायें तो यह अब्राहम की चालीसवीं पीढ़ी हैं और इनके बीच चालीस साल का मैक्सिमम एवरेज गैप रखें तो सोलह सौ साल होते हैं और उस हिसाब से अगर गणना करेंगे तो अब्राहम की जन्मतिथि 3600 ईसापूर्व आयेगी जो उनकी दी गयी तिथि से मैच नहीं करेगी और इस हिसाब से एडम का अवतरण काल और पहले आ जायेगा जबकि अगर माउंट टेम्पल को पिक प्वाइंट बनायें तो उस वक्त सोलोमन के बेटे रोबोम के जन्म का समय होगा और वहां से ईसा तक पच्चीस पीढ़ी बनती हैं जिनके बीच के एवरेज गैप को चालीस का भी मानें तो टोटल पीरियड हजार साल का बनता है जो कि माउंट टेम्पल की निर्माण तिथि से मैच हो जाता है।
अब अगर कोई मुसलमान यह कहना चाहे कि यह सब वंशावली तो बाईबिल की है, हमसे क्या मतलब तो उसे जानना चाहिये कि इस्लामिक कांसेप्ट में भी यह जूं की तूं मौजूद है और आदम से लेकर मूसा तक की वंशावली यह रही.. आदम शीश (शेथ)> अनूशा> कैनान> महलाईल> यारिद> इदरीस (अखनूद)> मुतवाशलक> लैमिक> नूह> शाम> अर्फाक्शद> शालिख> अबीर> फालिख> राऊ> सार> नहूर> तारीह> इब्राहीम> इसहाक> याकूब> लावी> कोहाथ> अमराम> मूसा।
और इब्राहीम से मुहम्मद साहब तक..
इब्राहीम> इस्माईल> हैदीर> अराम> अदवा> वज्जी> सामी> जरीह> नहीथ> मुकसर> एहम> अफनाद> एसार> देशान> आयद> अरावी> अल्हन> यहजिन> अथराबी> सनबीर> हमदान> अददाअ> उबैद> अबकार> आइद> मखी> नाहीश> जहीम> तबीख> यदलत> बिलदास> हाजा> नशीद> अव्वाम> ओबाई> कमवाल> बुज> औस> सलामन> हुमैसी> एद> अदनान> माद> निजार> मुदार> इलियास> मुदरिकाह> खुजैमा> किनाना> अन-नदर> मलिक> फाहर> गालिब> लोई> काब> मुर्रा> किलाब> कुसाई> अब्दुल मुनाफ> हाशिम> अब्दुल मुत्तलिब> अब्दुल्ला> मुहम्मद साहब।
यानि आदम के हिसाब से देखें तो मुहम्मद साहब उनकी 82वीं पीढ़ी हैं और इनके बीच के एवरेज गैप को आप अपनी मर्जी से (जो मुनासिब हो) जो चाहें मान लें और उसे 670 ई० के हिसाब से प्लस कर लें तो भी पांच हजार साल पीछे ही जाते बनेगा। या इब्राहीम से जोड़ें तो उनकी यह 62वीं पीढ़ी हैं और इनके बीच के मैक्सिमम गैप को पचास साल भी रख लें तो भी 3100 साल बनेंगे, जिसमें उनके जन्म के बाद के 1351 साल जोड़ लें तो आज से करीब साढ़े चार हजार साल बनेंगे और उनसे आदम तक के बीच का बीस पीढ़ियों का गैप (सौ साल भी मान लें तो) दो हजार साल का बनेगा। यानि उस हिसाब से भी साढ़े छः हजार साल पहले आदम दुनिया में इंसानों की आबादी शुरु करने आये थे।
हाऊ फनी न.. धार्मिक कांसेप्ट बस ऐसे ही अतार्किक और अवैज्ञानिक होते हैं। चूंकि लिखने वालों को पता नहीं था कि कभी पुरातत्व विज्ञान जैसी कोई चीज भी आ जायेगी और धरती पर हजारों लाखों साल पहले की इंसानी मौजूदगी के सबूत भी मिल जायेंगे तो उन्होंने बाकायदा सबकी पीढ़ियां और उम्रें तक लिख डालीं, सोचा ही नहीं कि कभी इंसान इन्हें कैलकुलेट कर के जड़ तक पहुंच जायेगा जो दूसरे साइंटिफिक सबूतों से एकदम उलट होगी। मुश्किल यह है कि अब नये उपलब्ध ज्ञान के हिसाब से वे इन किताबों को एडिट भी नहीं कर सकते वर्ना सारी वंश बेल सिरे से हटा दी जाती और आदम हव्वा को सीधे अफ्रीका पहुंचा दिया जाता.. मगर अफसोस!
अब ऐसी चीजों पर आप कुछ भी आलोचनात्मक लिखें तो बहुत से लोग आपको बताने आ जाते हैं कि ऐसा नहीं ऐसा है, आपको जानना चाहिये, आपको पढ़ना चाहिये.. और मजे की बात यह है कि अतीत से जुड़े ढेरों मुद्दों पर खुद ही यह आपस में सहमत नहीं होते। कोई किसी हदीस को गलत बतायेगा कोई किसी हदीस को, कोई किसी आयत का कुछ मतलब निकालेगा तो कोई कुछ.. खुद ठीक से समझ नहीं पाते कि फाइनली क्या कहना है लेकिन दूसरे को समझाने की पूरी कोशिश करनी है।
अच्छा चलिये मान लेते हैं कि आपको नहीं पता..तो कैसे जानना है? कुरान में सीधी-सीधी आयतें लिखी हैं जिनसे पल्ले नहीं पड़ेगा कि किससे, किस मौके पर, क्या कहा जा रहा है.. उसका संदर्भ जानने के लिये तफसीर पढ़नी पड़ेगी, लेकिन वहां भी लिमिटेड चीजें हैं.. तो बाकी चीजें कैसे जानेंगे? हदीस से, जो एक्चुअल टाईम के दो सौ साल बाद के आसपास संग्रहित की गयीं जनश्रुतियों से, जिनका कोई भरोसा नहीं कि क्या सही है क्या नहीं.. लेकिन फिर भी यह सोच कर पढ़ सकते हैं कि इस बहाने यह तो पता चलेगा कि उस वक्त के लोग क्या सोचते थे और उनके ज्ञान का लेवल क्या था।
लेकिन वह सारी मोटी-मोटी किताबें पढ़ने में बहुत वक्त और ऊर्जा लगेगी, तो उससे बेहतर है कि जिन्होंने वह सब पढ़ रखा है, उनके जरिये ही थोड़ा बहुत जान लीजिये। नीचे एक इस्लामिक वेबसाइट के चार लिंक दे रहा हूँ.. पहला है दुनिया कैसे बनी को लेकर, दूसरा है आदम कैसे वजूद में आये, तीसरा है कि आदम ने धरती पर शुरुआत कैसे की और चौथा है कि आदम के बाद उनकी पीढ़ियां आगे कैसे बढ़ीं। इस पोस्ट को पूरी करके इत्मीनान से एक-एक करके पढ़िये और दिमाग खोल कर सोचिये कि किस तरह की बातों पे यकीन किया जाता है धार्मिक प्रतिबद्धता के चलते और फिर सोचिये.. कि इन बातों पर यकीन रखने वाले, जो कि खुद को काफी जानकार मानते हैं और पूरी कसरत से ऐसी चीजों को डिफेंड करते हैं.. हकीकत में वे किस लायक होते हैं।
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