Dedh Sayani/डेढ़ सयानी
- ₹190.00
- by
- Book: Dedh Sayani
- Paperback: 176 pages
- Publisher: Gradias Publishing House
- Language: Hindi
- ISBN-13: 978-8194871828
- Product Dimensions: 22 x 14 x 1.5 cm
डेढ़ सयानी— कहानी है एक ऐसी मजलूम लड़की एना की, जिसे करोड़ों की प्रापर्टी की मालकिन होने का अभिशाप तब से भुगतना पड़ा था जब उसने ठीक से होश भी नहीं संभाला था। हर तरह ज़ोर-ज़ुल्म और शोषण झेलते वह इस तरह बड़ी हुई थी कि कोई आत्मविश्वास और आत्मसम्मान उसमें बाकी न बचे और वह पिता की इच्छाओं के नाम पर एक कठपुतली जैसा जीवन गुज़ारती रहे... लेकिन फिर भी उसने बग़ावत की थी और हालात को अपने हिसाब से बदलने की कोशिश की थी।
अपनी तकदीर को बदलने और संवारने के लिये उसने डेविड नामी उस मस्तमौला मुंबईया छोकरे का सहारा लिया था जिसकी जिंदगी ही तीन पिलर्स पर टिकी थी... कुदरत से बेपनाह प्यार और अंतहीन यायावरी, दुनिया भर की औरतों को भोगने की अदम्य ख्वाहिश और दुनिया के हर अपराधी को उसके अंजाम तक पहुंचाने की सनक— जिसके चलते उसकी ज़िंदगी में हमेशा अनिश्चितता और हंगामा बना रहता था और उसे इस बात से कोई शिकायत नहीं थी।
लेकिन दोनों को जिस वागले से छीन कर यह आज़ादी हासिल करनी थी— वह न सिर्फ एक रसूख और पैसे वाला शख़्स था, बल्कि अपराधिक मनोवृत्ति वाला, हर तरह के अपराधों से लिप्त एक दबंग शख़्स भी था जिसके पॉलिटिकल कनेक्शंस भी ऐसे थे कि सरकार भी उस पर सीधे हाथ डालने से कतराती थी। जाहिर है कि ऐसे शख्स से अपनी आजादी हासिल कर पाना न एना के लिये आसान था और उससे पार पा पाना डेविड के लिये ही आसान था... मगर जब ठान लिया था तो करना ही था— आखिर उसकी रूह को तस्कीन देने वाली तीनों वजहें एक साथ वहां मौजूद थीं... गोवा का मनमोहक सौंदर्य, एना, एली और जीनिआ जैसी हसीनाओं का सान्निध्य और वागले के रूप में एक ऐसा सशक्त अपराधी, जो उसका भरपूर इम्तिहान लेने वाला था।
अब चूंकि #क्राइम_फिक्शन के हैशटैग के अंतर्गत लोकप्रिय साहित्य के पैटर्न पर कुछ खास किरदारों के साथ सीरीज की कहानियां भी प्रकाशित होनी हैं, तो 'डेढ़ सयानी' से जिस किरादर की शुरुआत होती है, थोड़ा परिचय उससे भी कर लिया जाना चाहिये। यह मुंबई में पला बढ़ा एक हैंडसम हंक डेविड के० फ्रांसिस है, जिसके पिता योरोपियन थे तो माँ महाराष्ट्रियन। एक रोड एक्सीडेंट में दोनों जान गंवा चुके हैं तो घर में कोई रोक-टोक करने वाला नहीं है। पिता के अच्छे-खासे बिजनेस को ठिकाने लगा कर पैसा इधर-उधर इस तरह से इनवेस्ट कर दिया है कि सालाना करोड़ से ऊपर रिटर्न मिलता रहे तो कमाई की कोई टेंशन नहीं— और बिना किसी बाधा या ज़िम्मेदारी के, इत्मीनान से अपने शौक पूरे कर सकता है।
अब शौक क्या हैं— बचपन से जासूसी किताबों और फिल्मों का ऐसा शौक लगा है कि ख़ुद को जेम्स बांड से कम नहीं समझता और उसी पैटर्न पर अपने जीवन को गुज़ारना चाहता है। उसका खब्त है कि वह अपने जीवनकाल में ज्यादा से ज्यादा अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचा दे। दूसरा शौक़ है लड़की का, एक नंबर का ठरकी है और दुनिया के हर हिस्से में पाई जाने वाली, हर नस्ल और वर्ग की लड़की को एक ही जीवन में भोग लेना चाहता है। तीसरा शौक है यायावरी का— पीछे कोई ज़िम्मेदारी नहीं तो क़दम एक जगह नहीं थमते, दुनिया के चप्पे-चप्पे को देख लेना चाहता है और सौंदर्यबोध ऐसा था कि वर्स्ट से वर्स्ट लोकेशन में भी एक अप्रतिम सौंदर्य को खोज लेता था।
अब क़ुदरत भी उसका साथ निभाने में पीछे नहीं थी— उसके मिज़ाज को देखते जैसे उसके क़दम जहां कहीं भी पड़ते थे, उसे किसी न किसी हसीन दोशेजा के दामन में समेट कर एक अदद लफड़ा अदा कर दिया जाता था और उसके भूखे मन को वह गिज़ा मयस्सर हो जाती थी, जिसका वह हमेशा से ख्वाहा था और वह उसी में रम जाता था। डेविड फ्रांसिस सीरीज के कथानकों में यह सभी तत्व अनिवार्य रूप से मिलेंगे।
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